सनातन धर्म में समय की गणना बहुत ही विस्तृत और गूढ़ है। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा, पालनकर्ता विष्णु और संहारकर्ता महेश के समय चक्र के साथ-साथ इंद्र आदि देवताओं का भी एक दिन निश्चित होता है। यह लेख इस बात पर केंद्रित है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश और इंद्र आदि देवताओं का एक दिन कितना बड़ा होता है और इसकी गणना किस प्रकार होती है।
1. इंद्र आदि देवताओं का एक दिन
इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु, यम आदि देवता स्वर्गलोक के शासक होते हैं और इन्हें त्रिदेवों के अधीन माना जाता है। इनके समय चक्र को “दिव्य समय” कहा जाता है।
इंद्र का एक दिन (एक अहोरात्र) मानव वर्षों में
- इंद्र का एक दिन = 1 मानव वर्ष
- इंद्र का एक अहोरात्र (दिन + रात) = 2 मानव वर्ष
- इंद्र का एक मास = 30 अहोरात्र = 60 मानव वर्ष
- इंद्र का एक वर्ष = 360 अहोरात्र = 720 मानव वर्ष
- इंद्र का शासनकाल (एक मन्वंतर) = 71 महायुग = 30.67 लाख वर्ष
🔹 वर्तमान में वैवस्वत मन्वंतर चल रहा है, जो सातवाँ मन्वंतर है।
2. ब्रह्मा जी का एक दिन (कल्प)
ब्रह्मा जी के जीवन को चार प्रमुख खंडों में विभाजित किया जाता है:
- ब्रह्मा का एक दिन (कल्प) = 1000 महायुग
- ब्रह्मा की रात = 1000 महायुग
महायुग की गणना
एक महायुग चार युगों से मिलकर बनता है:
- सत्य युग = 17,28,000 मानव वर्ष
- त्रेतायुग = 12,96,000 मानव वर्ष
- द्वापर युग = 8,64,000 मानव वर्ष
- कलियुग = 4,32,000 मानव वर्ष
👉 1 महायुग = 43,20,000 मानव वर्ष
अब, जब 1 ब्रह्मा का दिन = 1000 महायुग है, तो इसकी गणना इस प्रकार होगी:
1 ब्रह्मा का दिन = 1000 × 43,20,000
= 4.32 अरब मानव वर्ष
इसी तरह, ब्रह्मा जी की रात भी 4.32 अरब मानव वर्ष की होती है।
3. ब्रह्मा का संपूर्ण जीवनकाल
ब्रह्मा जी का एक वर्ष 360 ब्रह्मा दिवसों का होता है, और उनका जीवनकाल 100 ब्रह्मा वर्षों का होता है।
👉 1 ब्रह्मा का जीवनकाल = 311.04 खरब (त्रिलियन) मानव वर्ष
ब्रह्मा जी के जीवन के अंत में प्रलय (महाप्रलय) होती है, जिसमें संपूर्ण सृष्टि विलीन हो जाती है और फिर नया चक्र आरंभ होता है।
4. विष्णु जी का एक दिन
भगवान विष्णु कालातीत हैं, लेकिन उन्हें समय के क्रम में समझने के लिए ब्रह्मा जी के जीवन से जोड़ा जाता है।
- 1 ब्रह्मा का जीवनकाल = 1 दिन विष्णु जी के लिए
- अर्थात जब 1 ब्रह्मा का जीवन समाप्त होता है, तब विष्णु जी का 1 दिन समाप्त होता है।
इस आधार पर, विष्णु जी की 100 दिव्य वर्षों की आयु की गणना ब्रह्मा जी के 100 जीवनकालों के बराबर होती है।
5. महेश (महादेव) का समय चक्र
महादेव (शिव) को कालों के काल (महाकाल) कहा जाता है। वे कालातीत हैं, अर्थात उन पर काल का प्रभाव नहीं पड़ता। जब सृष्टि का अंत होता है, तब वे तांडव करते हैं और महाप्रलय होती है।
भगवान शिव ही सृष्टि, स्थिति और संहार के अंतिम नियंत्रक हैं। जब एक ब्रह्मा जी का जीवन समाप्त होता है, तो एक नया ब्रह्मा उत्पन्न होता है, लेकिन शिव सदा एक ही रहते हैं।
6. वर्तमान में हम कहाँ हैं?
वर्तमान में हम कलियुग के प्रथम चरण में हैं, और यह ब्रह्मा जी के 51वें वर्ष का प्रथम दिन (श्वेतवराह कल्प) चल रहा है।
समय की गणना इस प्रकार है:
- ब्रह्मा जी के 100 वर्षों में से 50 वर्ष बीत चुके हैं।
- अब उनके 51वें वर्ष का पहला दिन चल रहा है।
- इस कल्प में 28वां महायुग बीत रहा है, जिसमें हम कलियुग में हैं।
7. पूरी गणना सारणीबद्ध रूप में
8. निष्कर्ष
सनातन धर्म में समय की गणना अत्यंत विस्तृत और जटिल है। इंद्र आदि देवताओं का समय मानव समय से बहुत अलग है, जबकि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समयचक्र और भी विशाल हैं।
- इंद्र का एक दिन = 1 मानव वर्ष
- ब्रह्मा का एक दिन = 4.32 अरब वर्ष
- ब्रह्मा का जीवन = 311.04 खरब वर्ष
- विष्णु का एक दिन = 1 ब्रह्मा का जीवनकाल
- शिव जी अनंत और कालातीत हैं
इस प्रकार, हमारी सृष्टि अनंत चक्रों में निरंतर चलती रहती है और भगवान शिव इसकी अंतिम सत्ता के रूप में विद्यमान रहते हैं।
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