हनुमान जी ने रामायण कैसे लिखी?
रामायण, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने लिखा, हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी ने भी एक रामायण लिखी थी? यह कथा भारतीय पौराणिक ग्रंथों और संतों की वाणियों में मिलती है। इसे “हनुमद रामायण” कहा जाता है।
हनुमद रामायण की कथा
हनुमान जी ने अपनी रामायण को स्वयं अपने नाखूनों से हिमालय की एक विशाल चट्टान पर लिखा था। यह कथा इस प्रकार है:
1. हनुमान जी का प्रेम और भक्ति
रामायण के युद्ध के बाद जब भगवान श्रीराम अयोध्या लौट आए, तब हनुमान जी एक बार हिमालय में तपस्या कर रहे थे। वे श्रीराम के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करने के लिए उनकी कथा को पत्थरों पर लिखने लगे। हनुमान जी ने इसे संस्कृत भाषा में नहीं, बल्कि “हनुमत भाषा” में लिखा, जो देवताओं की भाषा मानी जाती है।
2. वाल्मीकि जी से भेंट
कुछ समय बाद महर्षि वाल्मीकि हिमालय की यात्रा पर निकले और उन्होंने हनुमान जी की लिखी हुई रामायण को देखा। इसे पढ़कर वे चकित रह गए क्योंकि यह अत्यंत सुंदर और भावनात्मक थी।
3. वाल्मीकि जी की उदासी
वाल्मीकि जी को यह देखकर निराशा हुई कि हनुमान जी की रामायण उनकी खुद की लिखी रामायण से भी अधिक प्रभावशाली और सुंदर थी। उन्हें लगा कि लोग उनकी रचित रामायण की बजाय हनुमान जी की रामायण को अधिक महत्व देंगे।
4. हनुमान जी का त्याग
वाल्मीकि जी की भावना को समझकर, हनुमान जी ने अत्यंत सहज भाव से कहा,
“मैंने यह रामायण सिर्फ अपनी भक्ति के लिए लिखी थी, न कि प्रसिद्धि के लिए।”
उन्होंने अपनी पूरी लिखी हुई रामायण को उठाकर समुद्र में प्रवाहित कर दिया।
क्या हनुमद रामायण अब भी उपलब्ध है?
कहा जाता है कि हनुमद रामायण का अधिकांश भाग समुद्र में समा गया, लेकिन कुछ अंश साधु-संतों के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी चले आए।
कुछ प्राचीन ग्रंथों और संतों के उल्लेखों में हनुमद रामायण के शेष बचे अंश मिलते हैं, लेकिन पूर्ण रूप से यह ग्रंथ अब उपलब्ध नहीं है।
हनुमान जी का यह संदेश
हनुमान जी का यह कार्य हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति में अहंकार का स्थान नहीं होता। उन्होंने अपनी महान कृति को नष्ट कर दिया क्योंकि उनके लिए भगवान श्रीराम की सेवा ही सबसे महत्वपूर्ण थी।
हनुमान जी के इस त्याग और भक्ति से हम सीख सकते हैं कि सच्ची पूजा निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण में है, न कि प्रसिद्धि और सम्मान में।
क्या आपको यह कथा पसंद आई? अपने विचार कमेंट में जरूर साझा करें! जय श्रीराम!
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